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अटल बिहारी बाजपेयी पत्रकारिता सम्मान-2018 से सम्मानित हुए लेखक लोकेन्द्र सिंह
हिंदी वेबपोर्टल “प्रवक्ता डॉट कॉम” के 10 वर्ष पूर्ण होने कांस्टिट्यूशन क्लब, दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में दिया गया सम्मान दिल्ली, 16 अक्टूबर। लेखक एवं पत्रकार लोकेन्द्र सिंह को कांस्टिट्यूशन क्लब, नईदिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में “अटल बिहारी बाजपेयी पत्रकारिता सम्मान-2018” से सम्मानित किया गया। चर्चित वेबसाइट “प्रवक्ता डॉट कॉम” की ओर से उन्हें यह सम्मान…
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सेकुलर-लिबरल साहित्यकारों की असहिष्णुता को उजागर करती एक पुस्तक ‘हम असहिष्णु लोग’
– विनय कुशवाहा “आप तो मां सरस्वती के पुत्र हो, तर्क के आधार पर सरकार को कठघरे में खड़े कीजिए। वरना समाज तो यही कहेगा कि आप साहित्य को राजनीति में घसीट रहे हैं।“ इन्हीं तथ्यपरक बातों के साथ देश में फैली अराजकता पर कटाक्ष करती एक पुस्तक ‘हम असहिष्णु लोग’। अर्चना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित…
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लोक कल्याण के लिए हो पत्रकारिता – लोकेंद्र सिंह
राजगढ़। लोकतंत्र की सफलता में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लोकतंत्र की खूबसूरती और मजबूती के लिए पत्रकारिता का निष्पक्ष होना आवश्यक है। मीडिया का यह दायित्व होना चाहिए कि वह सामाजिक सद्भावना और सौहार्द को बनाए रखे। वह लोगों के हितों की बात करे। पत्रकार को लोक कल्याण की भावना को केंद्र में…
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असहिष्णुता के सुनियोजित प्रोपेगंडा के बरक्स
– डॉ. आशीष द्विवेदी ( निदेशक, इंक मीडिया इंस्टीट्यूट, सागर) आज के जमाने में लिखा और कहा तो बहुत कुछ जा रहा है पर उसमें उतना असर दिखता नहीं है। कारण अंतस से मन, वचन और कर्म को एकाकार कर लिखने वाले गिनती के हैं। शायद इसीलिए वह लेखन शाम ढलते ही किसी अंधेरे कोने में…
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सहिष्णुता और सादगी से प्रश्न करती ‘हम असहिष्णु लोग’
लेखक लोकेन्द्र सिंह की पुस्तक “हम असहिष्णु लोग” उन तथाकथित ‘अवार्ड वापसी समूह’ एवं कथित बुद्धिजीवियों के पाखंड को उजागर करती है, जिन्होंने असहिष्णुता के नाम पर देश को बदनाम करने का सुनियोजित षड़यंत्र रचा
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समीक्षा: देश कठपुतलियों के हाथ में
‘देश कठपुतलियों के हाथ में’ पुस्तक श्री लोकेन्द्र सिंह जी के द्वारा लिखी गई जो स्पंदन भोपाल के द्वारा प्रकाशित हुई है। यह किताब कोई शब्दों का जाल नहीं बुनती। समय-समय पर विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित लेखों को एक प्रकार से गागर में सागर भरने की कोशिश की गई है। यह पुस्तक बताती है…
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मैंने देखा है अपने भारत को करीब से
मैंने देखा है अपने भारत को करीब से बहुत-बहुत करीब से। रोटी के लिए बिलखते भी देखा है किन्तु स्वाभिमान के साथ/ हां, सिर ऊंचा किए। मानवता है उसकी रग-रग में स्वयं कष्ट में होकर भी दूसरे के जख्मों को सीते हुए देखा है औरों का दर्द समेटते हुए।। जगद्गुरु के रूप में/ देखा है…
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राजनीति की गांठें खोलती ‘देश कठपुतलियों के हाथ में’
नीरज चौधरी जहां एक ओर दौड़-भाग भरी जिंदगी और तमाम इच्छाओं की त्वरित पूर्ति के लिए दिन-रात खपती युवा पीढ़ी के लिए साहित्य, समाज, देश और राजनीति के विषय में सोचना, लिखना, पढ़ना जैसे दूर की कौड़ी हो गया है। वहीं ग्वालियर-चंबल की धरती पर जन्मे लोकेन्द्र सिंह राष्ट्र प्रेम की लौ अपने हृदय में…
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भावों की एक सच्ची अभिव्यक्ति
गिरिजा कुलश्रेष्ठ ‘मैं भारत हूँ’ युवा पत्रकार और लेखक लोकेन्द्र सिंह की प्रथम काव्यकृति है। लोकेन्द्र सिंह मूल रूप से गद्य लेखक हैं। उनके सशक्त समसामयिक आलेख अक्सर हमें पढ़ने मिलते रहते हैं। चूँकि पेशे से पत्रकार हैं इसलिये कमियों और बुराइयों को खोजना और उन पर प्रहार करना उनके कार्य का आग्रह भी है…
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मिट्टी, पानी, हवा से जोड़ती कविताएं
पुस्तक ‘मैं भारत हूँ’ की समीक्षा